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नए वर्ष का पहला दिन (सम्पूर्ण यात्रा का विवरण) New Year Tour

  




कल रात में 1:00 बजे सोया था, क्योंकि मैं रात में 12:00 बजे के बाद सब को नए साल की शुभकामनाएं व्हाट्सएप के द्वारा भेजने लगा। कल पता नहीं मैं कितने लोगों को नए साल की शुभकामनाएं भेजा। आज सुबह मेरे दिन की शुरुआत 7:00 बजे से हुई। सबसे पहले मैंने खाना बनाया और खा लिया, फिर हम किशन अशरफ और प्रदुमन पिकनिक मनाने के लिए खरंजा फाल जाने का निश्चय किए। जो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में पड़ता है।

यात्रा का शुभारंभ :

हम लोग घर से 1:25 पर निकले। जिसमें हम तीन लोग मैं यानि मनीष, किशन और प्रद्युम्न थे। अशरफ नमाज पढ़ने माजिद गया हुआ था। वह हमें रास्ते में मिला। फिर हम लोग 120 रुपए में टेंपू बुक करके खरंजा पाल पहुंचे। यहां से हम लोग अपने पिकनिक के यात्रा का शुभारंभ किए। टेम्प वाला ₹20 और मांग रहा था, पर हम लोगों ने नहीं दिया, क्योंकि बात तो ₹120 की ही हुई थी, जब मैं अपना पहला पैर खरंजा फाल की पहाड़ी पर रखा तुब मुझे ऐसा अनुभव हुआ मानो मैं अपने पैर आनंद की लहरों के बीच रख रहा हूं, मैं थोड़ा गुनगुनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे हम लोग नीचे की ओर बढ़े, और हमने देखा वहां कुछ लोग डीजे लगाकर डांस कर रहे थे। हमें भी वहां जाने की इच्छा हुई पर हमलोग वहां नहीं गए और आगे बढ़े। वहां हमने एक छोटा सा पुल दिखा, जो बिल्कुल बहते हुए पानी से सटा हुआ था, वैसा पुल मैंने पहली बार देखा था।

उसके बाद हम लोग पुल को पार करके चढ़ाई पर चढ़ने लगे। जहां हमें आग जलाने की इक्छा हुई। इसी बीच किशन ने एक व्यक्ति से माचिस भी मांग लिया, पर हम लोग वहां आग नहीं जलाया। वहां बहुत लोग पिकनिक मनाने आए थे, कोई मुर्गा पका रहा था तो कोई लिट्टी चोखा बना रहा था तो कोई वहां खुशी में नाच रहा था। पर मजे की बात तो यह है कि वहां शराब पीना सख्त मना था, पर शायद ही कोई ऐसा ग्रुप हो जो शराब लेकर ना आया हो और शराब ना पिया हो।

हम लोग वहां काले कलर का कोई फल खाए, जिसे प्रद्युम्न ने खाने के लिए दिया। फिर हम लोग आगे बढ़े, जहां हम पत्थर उठाकर जय श्री राम का नारा लगाकर पानी में फेंकने लगे और प्रद्युम्न हमारा फोटो खींच रहा था। फिर हम लोग आगे बढ़े और एक जगह पर जाकर बैठ गए, वहां हमने खूब चिल्लाया, जितनी ताकत थी हमलोगों के पास हमने उतना जोर से चिल्लाया, अलग-अलग तरह की आवाजें निकाली, फिर हम लोगों ने मिलकर गाना गाया, किशन और मेरा मोबाइल एक साथ बजा कर हमने डांस भी किया बहुत मजा आया। फिर हम लोगों ने वहां खूब सारी फोटो खिंचवाई और वापस वहां से लौटने लगे। तब हमने चढ़ाई पर चढ़ते समय डीजे के गाने पर खूब डांस किया, हालांकि डी.जे. नदी उस पार लगा हुआ था पर आवाज इस पार बिल्कुल स्पष्ट आ रही थी। हम और किशन खूब डांस किए। फिर पहाड़ से उतरते समय नवरत्न नमकीन खाए, जो किशन लेकर आया था। फिर हम लोग अपने पेंट और जूते उतारकर झड़ना में चले गए जहां हम लोगों ने फोटो भी खिंचवाई वहां भी काफी अच्छा लगा।

वापस लौटते समय :

फिर हम लोग वापस लौटने के लिए गाड़ी की तलाश करने लगे, तभी हमें एक ट्रैक्टर मिला जिसने हम लोगों को बैठा लिया। ड्राइवर काफी दिलदार था हम चारों लोग ड्राइवर के बगल में बैठ गए और ट्रैक्टर चल दिया, जिसके टेल्हर में 3 लोग बैठे थे जो खूब आपस में मजाक कर रहे थे। एक और मजे की बात ड्राइवर सहित तीनो ने भी पी रखी थी। जब गाड़ी चलना शुरु हुआ तब हमने गीत गाना शुरू किया। हम लोगों ने ढेर सारे भोजपुरी और हिंदी गाने गाए। जिसमें “जब लगावे लू तू लिपस्टिक जिला टॉप लागेलू कमरिया करे लपालप लॉलीपॉप लागेलू”, “गुपचुप गुपचुप लांबा लांबा घूंघट काहे को डाला रे”, “आने से उसके आए बहार जाने से उसके जाए बहार बड़ी मस्तानी है मेरी महबूबा”, “गोरिया कईके सिंगार अंगना में पिसेलू हरदिया” आदि गाने गाए। और टेल्हर पर बैठे तीन लोगों ने हम लोगों का खूब साथ दिया, कभी थाली बजाकर कभी ताली बजाकर तो कभी साथ में गाना गा कर। इसी तरह करते करते हम लोगों का ट्रैक्टर का सफर तय हुआ। हम लोग लगभग नई बस्ती से 2 किलोमीटर पहले ही उतर गए थे, क्योंकि ट्रैक्टर वाले का घर वही था।

रात हो चुकी थी पर हम लोगों के उत्साह का स्तर अभी भी अपने चरम पर था। हम लोग रास्ते में गाते हुए चल दिए, बीच में एक दुकान मिला जहां हमने फोफी, पारले-जी और एक और बिस्किट खरीदा। हम लोग उसे खाते हुए आगे बढ़े। अभी भी हम लोग उसी उत्साह के साथ गाना गा रहे थे कुछ दूर चलने के बाद हमें एक डीजे का आवाज सुनाई दी, फिर हम लोग उस डीजे के समीप गए तो देखा कि डीजे बज रहा है और दो छोटे बच्चों के अलावा वहां कोई नाचने वाला नहीं है। फिर मैं चप्पल खोल कर उस चबूतरे पर चढ़ा, जहां डीजे बज रहा था और बजाने वाले से पूछा कि क्या हम लोग भी यहां थोड़ी देर डांस कर सकते हैं?

डीजे वाले का उत्तर सुनकर मेरा हृदय खुशी से झूम उठा। उसने कहा आप जो कहिए वह गाना बजा देता हूँ आप लोग नाचिए। फिर क्या था मैंने किशन, अशरफ और प्रदुमन को चबूतरे पर बुलाया, और हम लोग खूब नाचे। अशरफ का डांस देखने योग्य था आज अशरफ भी खूब डांस किया, पर प्रद्युमन भी किसी से कम नहीं था उसने भी जमकर डांस किया। और हमारा और किशन का तो पूछना ही क्या! हम लोग भी जमकर मनभर डांस किये। हम सबका कमर दर्द देने लगा था, थोड़ी थोड़ी देर रुक रुक कर हमने डांस किया। अंत में किशन के कहने पर “भांगरा” लगा, जिस पर हम लोग लगातार 15-20 मिनट डांस किए। और खूब आनंद उठाएं, वहां के कुछ लोग भी हमलोगों के साथ इस भांगड़े में जबरदस्त डांस कर रहे थे। और चारों तरफ भीड़ इकट्ठी हो गई थी हम सभी के डांस को देखने के लिए। यहां तक कि हम लोगों के उत्साहवर्धन हेतु कुछ लोग ताली भी बजा रहे थे। “भांगड़े” के बाद हम लोग वहां से चल दिए।

समय 8:00 बजे गए थे, आते समय मैं नई बस्ती से ₹15 का बादाम पट्टी खरीदा और ₹50 का नोट देकर चल दिया। फिर मुझे हनुमान मंदिर पर आकर याद आया कि मैंने बदाम पट्टी वाले से ₹35 वापस नहीं लिए। फिर मैं जल्दी-जल्दी उस बदाम पट्टी वाले लड़के के पास गया और मेरे बिना कुछ बोले ही उसने ₹35 वापस कर दिए। मैंने उसे धन्यवाद कहा और वहां से चल दिया। घर पर आकर मैंने खाना बनाया और खाया। मुझे खाने में 10:00 बज गए। मैं बहुत थक गया था मैं कब सपनों की दुनिया में खो गया पता ही नहीं चला, कुछ भी कहो आज का दिन ऐतिहासिक था भगवान करे ऐसा दिन जिंदगी में बार-बार आए।

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