मेरी और किशन की वार्ता आज मेरी बात मेरे घनीस्ट मित्र मनीष से हुई मनीष ने मेरा हाल चाल पूछा जिसके उत्तर में मैने कहा अपना तो सब ठिक है। फिर हमारी बातचीत हमेशा कि तरह फिलोसिफी की ओर झुकने लगी हमने कहा चलो एक सप्ताह की छुट्टी लेते है और योग ध्यान आदि किया जायेगा जिसपर मनीष मेरी बात को काटते हुए कहा अरे ई सब में कुछ नाही धईल बा ई सब तो हमें नौटंकी लगता है मनीष ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा की पहले किन्ही लोगों ने योग ध्यान किया फिर जब कुछ नही मिला तो इसी को अपना धंधा बना लिए । वास्तव मे मनीष की बातो से मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था की वह मन से बड़ा उत्साह हीन और निराश हो गया हो। उसके हर बात में नकारात्मकता झलक रही थीं जैसे छोड़ा नौकरी सौकरी, योग सोग में भी कुछ नहीं रखा बा, हमारी बातचीत काफी नीरस होती जा रहीं थीं। फिर उसने बड़ा ही प्रत्यक्ष और स्पस्ट बात कही "प्रकृति हर किसी के साथ समान व्यवहार करती है, प्रकृति कभी अपने नियम नहीं तोड़ती , प्रकृति के समक्ष चाहे निर्जीव हो चाहे सजीव हो प्रकृति उनके भेद नहीं करती हैं, प्रकृति के अन्दर कोई भाव या मनोविकार नहीं होता है उदाहरण स्वरुप दया, क्रो
कल रात में 1:00 बजे सोया था, क्योंकि मैं रात में 12:00 बजे के बाद सब को नए साल की शुभकामनाएं व्हाट्सएप के द्वारा भेजने लगा। कल पता नहीं मैं कितने लोगों को नए साल की शुभकामनाएं भेजा। आज सुबह मेरे दिन की शुरुआत 7:00 बजे से हुई। सबसे पहले मैंने खाना बनाया और खा लिया, फिर हम किशन अशरफ और प्रदुमन पिकनिक मनाने के लिए खरंजा फाल जाने का निश्चय किए। जो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में पड़ता है। यात्रा का शुभारंभ : हम लोग घर से 1:25 पर निकले। जिसमें हम तीन लोग मैं यानि मनीष, किशन और प्रद्युम्न थे। अशरफ नमाज पढ़ने माजिद गया हुआ था। वह हमें रास्ते में मिला। फिर हम लोग 120 रुपए में टेंपू बुक करके खरंजा पाल पहुंचे। यहां से हम लोग अपने पिकनिक के यात्रा का शुभारंभ किए। टेम्प वाला ₹20 और मांग रहा था, पर हम लोगों ने नहीं दिया, क्योंकि बात तो ₹120 की ही हुई थी, जब मैं अपना पहला पैर खरंजा फाल की पहाड़ी पर रखा तुब मुझे ऐसा अनुभव हुआ मानो मैं अपने पैर आनंद की लहरों के बीच रख रहा हूं, मैं थोड़ा गुनगुनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे हम लोग नीचे की ओर बढ़े, और हमने देखा वहां कुछ लोग डीजे लगाकर डांस कर रहे थे।